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महिला व पुरुष की दोस्ती
मुझे हमेशा से ही एक गलतफहमी रही है,
कि पुरुष व महिला अच्छे दोस्त हो सकते है,
पर मेरी कोशिश पुरुष को दोस्त बनाने की
न जाने क्यों हर बार असफल हो जाती है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
सिर्फ महिला दोस्त के मुलायम गाल
व गुलाबी होठ ही नज़र आते है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
कपड़ो मे छुपे होने पर भी महिला के
सीने के उभार साफ-साफ नज़र आते है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
चाहत महिला के शरीर को आलिंगन मे
भरने व चूमने की ही रहती है,
क्यों वह दोनों अच्छे दोस्त नही बन पाते,
क्यों वह दोनों अकसर साझा नही
कर पाते अपनी खुशियां व गम ,
क्या कभी मेरी ये सोच गलत साबित होगी
क्या कभी वह दोनों अच्छे दोस्त बन पाएंगे!
© रीवा
कि पुरुष व महिला अच्छे दोस्त हो सकते है,
पर मेरी कोशिश पुरुष को दोस्त बनाने की
न जाने क्यों हर बार असफल हो जाती है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
सिर्फ महिला दोस्त के मुलायम गाल
व गुलाबी होठ ही नज़र आते है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
कपड़ो मे छुपे होने पर भी महिला के
सीने के उभार साफ-साफ नज़र आते है,
हर पुरुष को दोस्त बनकर न जाने क्यों
चाहत महिला के शरीर को आलिंगन मे
भरने व चूमने की ही रहती है,
क्यों वह दोनों अच्छे दोस्त नही बन पाते,
क्यों वह दोनों अकसर साझा नही
कर पाते अपनी खुशियां व गम ,
क्या कभी मेरी ये सोच गलत साबित होगी
क्या कभी वह दोनों अच्छे दोस्त बन पाएंगे!
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