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🙏 मृत्यु: अटल सत्य 🙏
चुपके से मौत आ जाती है
सब सहज शांत कर जाती है
उमड़ते, जज़्बात और इच्छाएं
सदा के लिए सुला जाती है।
कितने सपनों में डूबा मन
जिन्हें पूरा करने को आतुर था
दबे पांव जब मौत आती है
सब शून्य सा कर जाती है।
असंख्य चिंताएं भविष्य को लेकर
कैसे सारा जीवन चलता है
मृत्यु पर इन सब का लेकिन
कहां फर्क कभी पड़ता है।
उथल-पुथल भरा जीवन
झट से शांत हो जाता है
अंतर द्वंद्व से जूझता मन
एकदम वीरां हो जाता है।
खुशियां, हंसी, ठिठोली
चुप सहमी सी रह जाती हैं
मृत्यु शक्ति के आगे जैसे
शीश झुकाए सी रहती हैं।
असमय ही जब यह आती है
भयानक दर्द सा दे जाती है
कालचक्र की महा शक्ति यह
सबको बेबस कर जाती है।
जीवन-मृत्यु जन्म- मरण का
युगों युगों से चलता नाता है
एक इस दुनिया में लाता
एक वापिस ले जाता है।