...

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तुम्हारा प्रेम

तुम्हारी सादगी मेरे दिल में घर कर गई
जिसे ढूंढती थी मैं
दिन के उजालों में
तो कभी रातों के ख्वाबों में
बरसों की थकी हुई थी आँखें मेरी
ना जाने कब ये तुम पर थम गई


तुम्हारी सादगी मेरे दिल में घर कर गई
तुम्हारी कम बोलने की आदत ने
मुझसे बिन बोले सब कह डाला
बेरंग थी मेरी तो जिंदगी
तुमने मुझे अपने प्रेम में रंग...