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ज्योत्सना....
अब और क्या कहूँ,
तुम्हारी सुन्दरता में,
तुम्हारी मुस्कान ही पर्याप्त है,
मेरी मुग्धता में।
तुम संपूर्ण वर्णित हो,
एक शब्द 'ज्योत्सना' में।
तुम अमर हो,
मेरी कल्पना में।
तुम जिद्दी, शर्मीली और चुलबुली,
तुम अभी प्रसन्न और तुरंत आगबबूली।
निराशापूर्ण स्थिति में भी,
मेरी प्रेरणा तुम हो।
सुख - दुःख की संगिनी,
मेरी अपर्णा तुम हो
© Rohit Sharma(Joker)
तुम्हारी सुन्दरता में,
तुम्हारी मुस्कान ही पर्याप्त है,
मेरी मुग्धता में।
तुम संपूर्ण वर्णित हो,
एक शब्द 'ज्योत्सना' में।
तुम अमर हो,
मेरी कल्पना में।
तुम जिद्दी, शर्मीली और चुलबुली,
तुम अभी प्रसन्न और तुरंत आगबबूली।
निराशापूर्ण स्थिति में भी,
मेरी प्रेरणा तुम हो।
सुख - दुःख की संगिनी,
मेरी अपर्णा तुम हो
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