...

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कभी-कभी लगता है।
कभी-कभी लगता है कि क्या औरत होना पाप है?
कैसे विश्वास कर लू लोगो पे, ये बाहर से कुछ, और अंदर से ज़हरीले सांप है।
ना नन्ही सी जान को छोड़ते है, ना किसी बुजर्ग महिला को,
जिंदा औरत तो दूर की बात, ये नहीं छोड़ते है मुर्दा को।
लेकिन न्याय की बात यहां कौन करता है, जिस देश में औरत को देवी का रूप माना जाता है,
उसके साथ ही गलत करके एक दरिंदा हजारों पाप किए जाता है।
और बस चार दिन ही तो मोमबत्तियां जला कर लोग भी दुख बया कर देते हैं,
न्याय अगर ना मिले तो थोड़ी कोई उस पीड़िता के घरवालों के बारे में सोचते हैं।
और फिर बस धर्म और जातियों के मुद्दों में जनता लड़ती रहती है, किसका धर्म सबसे अच्छा है बस यहीं लड़ाई करती रहती है।
यहां कोई इंसानियत के बारे में कभी सोचता नहीं है,
जिस्म के भूखे कुत्ते भरे पड़े हैं दुनिया में, लेकिन न्याय के बारे में कोई सोचता नहीं है।
© sneha writes♡