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ऐसे जी रही हूँ.......
तेरा विलग होना
यूँ असर कर गया
हर गहरी उच्छ्वास पर
बढ़ती जा रही सान्द्रता दुःख की
बढ़ती जा रही नितांत तनहाई
फांकती जा रही हूँ अकेलापन
मुट्ठी भर भर कर जबरन
उफ्फ ये बढ़ता अवसाद
घोटती रही हूँ अवसाद की कड़वी गोलियां
बिना पानी के, अटकी हुई है हलक में
ये घुलती कड़वाहट
पी रही गरल कड़वाहट का
घुल रहा है धीरे धीरे रक्त संचार में
दुःख, तनहाई, अवसाद, कड़वाहट
अब तो ये आदत बनती जा रही है
© ऋत्विशा
यूँ असर कर गया
हर गहरी उच्छ्वास पर
बढ़ती जा रही सान्द्रता दुःख की
बढ़ती जा रही नितांत तनहाई
फांकती जा रही हूँ अकेलापन
मुट्ठी भर भर कर जबरन
उफ्फ ये बढ़ता अवसाद
घोटती रही हूँ अवसाद की कड़वी गोलियां
बिना पानी के, अटकी हुई है हलक में
ये घुलती कड़वाहट
पी रही गरल कड़वाहट का
घुल रहा है धीरे धीरे रक्त संचार में
दुःख, तनहाई, अवसाद, कड़वाहट
अब तो ये आदत बनती जा रही है
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