उगता सूर्य कुछ कह रहा
प्रातः का उगता सूर्य
तुमसे कुछ कह रहा
नया अध्याय चल
शुरू कर, आलस्य त्याग
अपने आपको पहचान
तू वो नहीं जो हार मान जाए
देख इक नया सवेरा
तुझसे बहुत कुछ कह रहा
अब जो सोया
तो जीवन में खुशियों के बीज
कब बोएगा
तू कब जागेगा
देख भोर हुई
कमी किसमें नहीं
इंसाँ वो इंसाँ नहीं
जिसमें कोई कमी नहीं
इसी कमी से तो
आँखों में इंसाँ के नमी
अब इस नमी की
तुझसे है ठनी
इसी ठनी से तो
तेरी हर बात बनी
चल जाग बरस बीत गए...
तुमसे कुछ कह रहा
नया अध्याय चल
शुरू कर, आलस्य त्याग
अपने आपको पहचान
तू वो नहीं जो हार मान जाए
देख इक नया सवेरा
तुझसे बहुत कुछ कह रहा
अब जो सोया
तो जीवन में खुशियों के बीज
कब बोएगा
तू कब जागेगा
देख भोर हुई
कमी किसमें नहीं
इंसाँ वो इंसाँ नहीं
जिसमें कोई कमी नहीं
इसी कमी से तो
आँखों में इंसाँ के नमी
अब इस नमी की
तुझसे है ठनी
इसी ठनी से तो
तेरी हर बात बनी
चल जाग बरस बीत गए...