वो एक सवाल
चाहे सोऊं या रातभर जागती रहूं,
चाहें रोऊं या खुलकर हसती रहूं,
वो एक सवाल हमेशा साथ में रहता हैं,
जो आयदिन मुझसे पूछा जा रहा हैं।
उम्मीदों का सेहेलाब तो हररोज मन में आता हैं,
मगर इस दिल हरबार उनसे मूंह मोड़ लेता हैं,
न जाने क्यों वो एक सवाल खटकता ही रहता हैं,
क्या तू...
चाहें रोऊं या खुलकर हसती रहूं,
वो एक सवाल हमेशा साथ में रहता हैं,
जो आयदिन मुझसे पूछा जा रहा हैं।
उम्मीदों का सेहेलाब तो हररोज मन में आता हैं,
मगर इस दिल हरबार उनसे मूंह मोड़ लेता हैं,
न जाने क्यों वो एक सवाल खटकता ही रहता हैं,
क्या तू...