...

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दिल तन्हा...
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
जिन्दगी अब तुम बिन अधूरी है
तुम नही समझते इस दिल की
क्या मजबूरी है।

© राज