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कृष्ण की मूरत
कभी श्याम,
कभी घनश्याम,
कभी नटखट,
कभी गंभीर,
कभी गोपियों का सखा,
कभी महायोगी,
कभी बाल गोपाल,
कभी पार्थसारथी,
कभी गीता का ज्ञानी,
कृष्ण की लीला,
अद्वितीय, अनमोल,
जिनमें प्रेम का संचार,
हर दिल में होता है।

कभी ब्रज की गलियों में,
कभी कुरुक्षेत्र के रण में,
कभी बांसुरी की धुन में,
कभी शंखनाद में,
कभी रास में नृत्य करते,
कभी धर्म की रेखा खींचते,
कृष्ण हैं अनंत,
जिनका प्रेम अनमोल,
अधर्म का संहार,
धर्म की स्थापना,
जिन्होंने सहज कर दी,
प्रेम की मूरत बन,
सम्पूर्ण संसार को अपनाया।

कभी राधा के संग,
कभी सुदामा के संग,
कभी अर्जुन के संग,
कभी द्रौपदी के संग,
कृष्ण ने प्रेम का अनूठा संदेश दिया,
जो न तो बस देह का था,
न ही केवल वचन का,
बल्कि आत्मा की गहराइयों में बसा,
एक अमर...