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"वह एक असंभव प्रेम गाथा अनन्त में कौन है"भाग१
इश्क सोने में नहीं,
इश्क खोने में है ,
जज़्बात बोलने में नहीं
एहसास करने में है,
बू नहीं खूशबू है,
और खूब है वो जज़बात मन में -
क्योंकि हां वो खूशबू जिस्म नहीं,
उस रूह में है जो आज मैं हूं,
तो कल तू होगी,
हां इश्क साथ सोने में नहीं,
साथ होकर उस इश्क के मंजर को
पूरा करने में है ,
और वह कहती हैं कि "वह कौन है अरे मेरे सौदागर,
गरीब है नृत्य पोटली जिसमें क्या -क्या है -क्या मैं तुझे बयां करूं,
मगर रोती और बिलबिलाती हुई,
पहले तो वह गाथा के नायक को ही कसूरवार ठहराती है,
कहती हैं अरे ओ मजारी ए मुल्लाह अल्लाह -परवरनीगार -
तू ही सौदागर,
तू ही छलिया,
तू ही मायावी,
तू ही पाखंडी,
तू ही भृमणनायक,
तू ही कालचकृधारी,
तू ही बहरूपिया,
तू ही कन्हैया,
तू ही कन्हा,
तू ही कृष्ण,
अनेक है नाम तेरे मगर है तू एक,
तू कण कण में है बसता,
अब कहना चहाती हूं,
इश्क साथ में नहीं,
इश्क साथ होकर एक दूजे में समा जाने में है,
जज़्बात वो नहीं जो होंठों के अल्फाज़ बुने,
जज़्बात वो है जो होंठों की खामोशि सुनावें,
जज़्बात वो है जो रूह बयां करें,
एक दूसरे के मन से,
एक दूसरे के तन से,
बू जिस्म की नुमाइश की नहीं चाहिए,
बल्कि खूशबू चाहिए उन कुछ साथ में बीते लम्हो,
की तस्वीर या वो तेरे आघोस की गर्माहट चाहिए,
हां वो बूह जिस्म की नुमाइश की नहीं बल्कि,
उस रूह के किस्सों की खूशबू चाहिए,
जो कुछ मेरे और कुछ तेरे है,
#बूह__नही__खूशबू__चाहिए🪔🩸💞👄👅💋
#वह_एक_असभंव_प्रेम_गाथा_कौन_है,
🔴(प्रश्नवाचक दृष्टि व निगाहों से देखी जाने पर सवाल अंकित है वह वो वेशया बैकुनडी रीढ़ा है तो उसे रचने वाला कौन है,अगर वो किन्नर कल्याणवी मूर्ति है तो उसको अर्जी देने वाले कौन हैं तथा अगर वह नपुंसकीय आहुतिका है
तो उसे एक नपुंसक की आहुति का पात्रांक बनाने वाला कौन है?
तथा इस अत्यंत पीड़ा के पश्चात् उसे प्रेम सून्यनिका स्मारक घोषित करने वाले कौन हैं?)
🔴 यह गाथा बताती है कि बिन योनि व चूत के नारीत्व व स्त्रीत्व दोनों ही शून्य जिसका वास्तविक स्पष्टीकरण दिया जाएगा तथा जो रूप एक योनि धारण करती वो अकेले नहीं करती उसके साथ वो लिंग भी करता है।।
इसलिए बिन नारीत्व व स्त्रीत्व के योनि व चूत काभी संभोग व यौन नहीं कर पाएगी?
और इधर लन्ड नपुंसक होने के कारण अपने मल कर उपयोग उच्चतम स्तर पर नहीं कर पाएगा जिसके कारण वह कोई अस्तित्व का उल्लेख व निर्माण कार्य नहीं कर सकते हैं?☝️
🔴 वीर्य का सार व नारीत्व व स्त्रीत्व का उपयोग करना नहीं इस कलि के कलियुग के कलियौता को कालश्रोथ विभकितश्रोत लिगश्रोथ जातिश्रोत किसी का स्पष्टीकरण व ज्ञान का बोध नहीं है तो इसका क्या कारण हो सकता है?
☝️ यह गाथा वास्तविक में अनन्त से अन्त में तथा असंभव से संभव में नहीं क्योंकि वह "एक असम्भव प्रेम गाथा एक सिद्ध शून्यनिका शून्यनिकाविध्वंकीय सिधिका गौ स्मारकीय घोषित कर दी गई है।।🐄🪔🙏☝️💋👅👄💞🩸♥️💐⭕💘💓❣️💗💔🔥🦚👩‍❤️‍💋‍👨🫂👥🫂🖕