...

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तुम मौन पढ़ लेना मेरा...!
शब्द... जब सब मेरे बीत जाएँ
कहते सुनते कोई कहानी
जब सहसा ...
सृजन घट... रीत जाए....

प्रार्थनाएँ...मौन धर लें,
ओsssम... निनाद का स्वर भी
जब कुछ मद्धम पड़ जाए....

मैं छोड़ दूँगी ब्रह्मांड में
कुछ अनलिखी चिट्ठियां...
अनसुने शब्द
प्रिय.. तब तुम मेरा "मौन पढ़ लेना"
तुम मेरा "मौन सुन लेना"

शब्दों की शबदार्थिका
परिमित है... सीमित है...
है मौन की शब्दावली अनंत...

तुम सुन लेना होनी-अनहोनी में
झूलते, उर-कंपन को...
तुम सुनना सांसों के उठते गिरते
सुरीले-वंदन को...

तुम सुनना...
अधरों की थिरकन
तुम पढ़ लेना...
नैनों की भाषा...

जब शब्द मेरे बीत जाएं...
प्रिय... तब तुम
" पढ़ लेना मौन मेरा!"
तब तुम "सुन लेना मौन मेरा"

© मैं... शब्द-वंदिनी,मन-बंदिनी ✍️