...

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अस्तित्व
यूं इस तरह
कुछ बातों का होना हर वक्त,
दिमाग़ की गहराइयों में
बीते हुए कल के साथ,
जो प्रश्नचिन्ह लगाते हैं
आज के अस्तित्व पर..

झिंझोड़ती रहती हैं अंदर से
कुछ अपरिचित मंज़िलें,
जिनकी न शुरुआत का पता है
ना ही अंत का,
या शुरुआत या अंत हैं भी या नहीं
ये भी नहीं मालूम..

ना जाने कितने कोने
उगते गए हैं
अंतस की दीवारों पर..
जैसे हर...