...

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ज़िम्मेदारी।।...
हसरतों के बाज़ार में अक्सर,
बिक जाती हैं हसरतें सारी।
एक उम्र के बाद मिल जाती हैं,
दुनियाभर की जिम्मेदारी।
नाज़ुक कंधे जो उठाते नहीं बोझ,
अब उठा रहे होते हैं अपने से कई गुना ज्यादा भार।
अपने बचपन का बेरहमी से हत्या कर,
वे हत्यारे भटक...