...

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तेरा चेहरा गुलाब लगता है

खिला हुआ तेरा चेहरा गुलाब लगता है
करीब दिल के हो मेरे ये ख़्वाब लगता है

ये काले काले से गेसू अजीब लगते है
हसीन गालों को छूने को ये तरसते है
सबा को ले के जो आये सहाब लगता है
खिला हुआ तेरा चेहरा गुलाब लगता है

तुम्हारे वस्ल को बेताब दिल रहे मेरा
वगैर तेरे न कोई वज़ूद है मेरा
मैं तुम से दूर न जाऊँ ख़राब लगता है
खिला हुआ तेरा चेहरा गुलाब लगता है

जितेंद्र नाथ श्रीवास्तव "जीत "
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