...

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मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
तादाद शाम को बढने लगती है
रंग हम अपना जमाने लगते है
तोडना जब किसी का आता है याद PREEET
शायर फिर हम बनाने लगते है
बैबजह सी लिखकर बातें
दिल किसी का लुभाने लगते है
बातें जिससे कर ले PREEET
दिल ए घर उसी के आशियाने लगते है
शाम ढले फिर यादों का आना
खयाल अजब से आने लगते है
दोस्त फिर करके जिद
शायर PREEET से लिखवाने लगते है
चोट तो एक पल मे लगती है दिल को
भूलने मे फिर जमाने लगते है
हाल दिल का किसी को मत सुनाया करो
आखिर मे लोग तडफाने लगते है
बाते जब करते है हम किसी से
कदम फिर डगमगाने लगते है
💔💔


© आवारा पागल दीवाना