गुलाब के तरह खिल जाना!
में एक ऐसी दीया हूं,
जिसका असंभव है बुझ जाना!
में एक ऐसी कली हूं,
जिसका नामुमकिन है मुरझाना!
लोग मुझे अहमियत दे न दे,
परवाह नहीं दुनिया की...
जिसका असंभव है बुझ जाना!
में एक ऐसी कली हूं,
जिसका नामुमकिन है मुरझाना!
लोग मुझे अहमियत दे न दे,
परवाह नहीं दुनिया की...