मैं ही क्यों
मैं तो वो चिराग था, जिसे न था आँधियों का खौफ़
मगर न जाने क्यों, आज कुछ खौफज़दा सा हूँ मैं
ख़ुद के बनाये रिश्तों में अब, खुद उलझ रहा हूँ मैं
तुझको पाने की...
मगर न जाने क्यों, आज कुछ खौफज़दा सा हूँ मैं
ख़ुद के बनाये रिश्तों में अब, खुद उलझ रहा हूँ मैं
तुझको पाने की...