...

3 views

कविता
चुप्पी साधे अधर की जो ना कहीं वो बात हो तुम
मेरी अनकही कविता हो तुम.

मेरे हृदय के मरुस्थल बह रही सरिता हो तुम
मेरी अनकही कविता हो तुम.

एक बियाबान जंगल जिसमें बहती पुरवाई हो तुम
मेरी अनकही...