...

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मैं हिंदी हूँ....
मैं हिंदी हूँ,
सम्मान दिलाने वाली हूँ।।

नदियों सी निर्मलता मुझमें,
पुष्पों सी पवनता है...
माता सी ममता लेकर,
तुम्हे अधिकार दिलाने वाली हूँ।।

कभी दोहे, रस, छंद हूँ मैं,
तो कभी कहानी और कविताए हूँ...
नीति, श्रंगार, वात्सल्य हूँ मैं...
कबीर, रसखान की मैं...