...

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अगर तुम कहो...
रख दिए हैं मुंडेरों पे जलते दिए
राहें भी जगमगा दूँ अगर तुम कहो
रौशनी ग़र तुम्हें थोड़ी कम ये लगे
मैं दिल भी जला दूँ अगर तुम कहो

तुमको मुझसे अगर हों शिकायत कोई
बोल देना ज़रा भी हिचकिचाना नहीं
साँसों का शोर तुमको ग़र परेशाँ करे
उनको अन्दर दबा दूँ अगर तुम कहो

सबको मिलती कहा हैं मोहब्बत यूँ ही
कुछ कि रातों की सुबह भी होतीं नहीं
तुमको हों ग़र कबूल नज़राना-ए-दिल
मैं नसीब आजमा लू अगर तुम कहो

© विकास शर्मा