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अत्याचारी का शासन
विविधता की भूमि पर, मोदी का पाखंड राज करता है,
जहाँ,अंधविश्वास सत्य को ढकता हैं, जबकि तर्कशीलता कम होती जा रही है।
निरंकुशता की छाया डर पैदा करती है,
जबकि झूठ और छल वातावरण को दागदार करते हैं।

दंगे भड़कते हैं, उनकी स्वार्थी इच्छा से प्रेरित होकर,
हजारों लोग आग में जलकर मर जाते हैं।
धर्म की आड़ में, वह राजनीति करते हैं,
राष्ट्र को खतरनाक चक्रव्यूह में बांटते हैं।

फिर भी अराजकता के बीच, आवाजें उठती हैं,
उत्पीड़न को धता बताते हुए, वे झूठ को चुनौती देते हैं।
सत्य और न्याय के लिए, वे साहसपूर्वक खड़े होते हैं,
अत्याचार के सामने, हाथ में हाथ डालकर एकजुट होते हैं।
© @roopchau836