...

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वीर तुम अड़े रहो रजाई में पड़े रहो
वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो।।

चाय का मजा, मिले,
सिकी ब्रेड भी मिले।

मुंह कभी दिखे नहीं,
रजाई, खिसके नहीं।

मां की लताड़ हो,
या बाप की दहाड़ हो।

तुम निडर डटो वहीं,
रजाई से उठो नहीं।

वीर तुम अड़े रहो,
रजाई में पड़े रहो।।

मुंह गरजते रहे,
डंडे बरसते रहे।

वो भी जो, भड़क उठे,
बेलन ही खड़क उठे।

प्रात:...