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#वो चंद खूबसूरत सुर्ख़ लम्हे
ए दिलकश ज़िन्दगी के चंद खूबसूरत सुर्ख़ सुनहरे लम्हों, क्या अदा है तुम्हारी,

सोचता हूँ हर पल, क्यूँ कैसे आया इनमें निखार जैसे कलियों में एक ख़ुमार,

देखता आ रहा इन नटखट लम्हों की शोखी को, हमसे ही सूझी ये शरारत क्यूँ है,

पहले लगे थे बड़े अच्छे इनको, कितने कसक नूर जज़्बात हैं तेरे,ए ज़िन्दगी,

हुजूम था, ये पल रीझ गए जैसे कली एक छुई मुई, कैसा नसीब अब इन्हें भक्ति का आया ख़्याल है,

अरविंद संग ही ऐसा होता क्यूँ है, विसाल-ए-यार क्यूँ नहीं कर पाते इकरार का इज़हार I


-✍️ Arvind Akv