...

9 views

फरमाइए कुछ
फरमाइए कुछ

बैठे थे नदी के किनारें वो और हम,वो पलट कर चल दिए जब पूछा हमने फरमाइए कुछ, देखा उन्होंने ऐसे हमे जैसे केह रहे हो किया फरमाना है ,ये आप बताइए। हम भी हँस कर चल दिए अचानक उन्होंने थाम लिया हाथ और कहा हमसे "हम तो पूरी ज़िंदगी फरमाना चाहते है आपके पहेलु में, इज़्ज़ाज़त है हमे आप ये फरमाइए" ।


शालिनी तंवर रघुवंशी