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तेरे मिलने को सनम
तेरे मिलने को सनम ..
ज़रूर आते रहेंगे हम !!
इंतेज़ार में न हो कभी
तुम्हें कोई रंज ओ ग़म !!
तुम पढ़ते रेहना हमें ..
चाहे लिख के मिटा दे हम !!
तुम्हारे नज़्र ए करम माँगे..
ग़ज़ल हो या कोई नज़्म !!
हम से ख़फ़ा न हो जाना ..
आने में देर लगाते है हम !!
अक़्सर काम के सिलिले में ..
मसरूफ़ हो जाते है हम !!
दिन तो तपता गुज़र जाता है..
रात होती है बोहोत ही ठंड !!
तुम बताना तुम्हारे शहेर का ..
कैसा है इन दिनों मौसम !!
तेरे मिलने को सनम ...
© Jameel
ज़रूर आते रहेंगे हम !!
इंतेज़ार में न हो कभी
तुम्हें कोई रंज ओ ग़म !!
तुम पढ़ते रेहना हमें ..
चाहे लिख के मिटा दे हम !!
तुम्हारे नज़्र ए करम माँगे..
ग़ज़ल हो या कोई नज़्म !!
हम से ख़फ़ा न हो जाना ..
आने में देर लगाते है हम !!
अक़्सर काम के सिलिले में ..
मसरूफ़ हो जाते है हम !!
दिन तो तपता गुज़र जाता है..
रात होती है बोहोत ही ठंड !!
तुम बताना तुम्हारे शहेर का ..
कैसा है इन दिनों मौसम !!
तेरे मिलने को सनम ...
© Jameel
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