...

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आधार जिंदगी का ! लोहा या कंधा?
जिम्मेदारियां कंधे पर लदी,
वो बोझ है ,
जब तक लोहा ताज़ा,
तब तक पकड़ महबूत,
जब तक युआ हो तुम ,
तब तक कंधा मजबूत,

जब लोहे में लगा जंग,
पकड़ हुई भंग,
जब मेहनत में लगे जंग,
तब परिवार हो भंग,

दोनो का आधार एक ,
अंदर से अगर,
खोखला हुआ तो ,
परिवार जिम्मेदार,
बाहर से अगर हुआ खराब ,
तो बारिश,और परिवारिश खराब ।
© @खामोश अल्फाज़ ©A.k