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बचपन की यादें
#ChildrensDay
आँखें खुद-ब-खुद ही भर जातीं जब बचपन सुहाना याद आता है।
बेफिक्र सी ज़िन्दगी थी जब,रह रह कर वो ज़माना याद आता है।।
वो गुड्डे-गुड़ियों का ब्याह रचाना,झूले पर बैठ अंबर की सैर कर आना।
आधी छुट्टी से पहले अध्यापक से छुपके डिब्बे से खाना याद आता है।।
ना जाने कितनी मधुर यादें ज्यों की त्यों कैद हैं ज़िन्दगी की तिजोरी में।
ज़िन्दगी जन्नत सी लगती है जब जब भी कभी इनका स्वाद आता है।।
© ✍️nemat🤲
आँखें खुद-ब-खुद ही भर जातीं जब बचपन सुहाना याद आता है।
बेफिक्र सी ज़िन्दगी थी जब,रह रह कर वो ज़माना याद आता है।।
वो गुड्डे-गुड़ियों का ब्याह रचाना,झूले पर बैठ अंबर की सैर कर आना।
आधी छुट्टी से पहले अध्यापक से छुपके डिब्बे से खाना याद आता है।।
ना जाने कितनी मधुर यादें ज्यों की त्यों कैद हैं ज़िन्दगी की तिजोरी में।
ज़िन्दगी जन्नत सी लगती है जब जब भी कभी इनका स्वाद आता है।।
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