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" बदल गई दुनिया "
देखते ही देखते काफ़ी बदल गई दुनिया
कुछ कुछ बिगड़ी कुछ सुधर गई, दुनिया ।
रहन सहन बदला ,खान पान भी बदला
रूढ़ियों से निजात पर ना पा पाई , दुनिया।
आविष्कार नये नये ईज़ाद कर डाले दुनिया ने
इंसानियत में लेकिन पिछड़ती गई, दुनिया ।
रंगते जा रहे है सब पश्चिमी चाल ढ़ाल में
संस्कृती अपने देशों की भुलाती गई , दुनिया ।
बड़ी बड़ी कोठियां हैं औ'बड़ी बड़ी सी कारें
छोटे छोटे दायरों में पर सिमटती गई, दुनिया ।
पैसा बढ़ता गया दिल पर छोटा होता चला गया
परिवार को सर्वोपरि समझने लग गई , दुनिया ।
सच्चा प्यार सच्चे वादे शायद कोई अब करता
मतलब बस अपना निकालने लग गई , दुनिया ।
रिश्ते नातों की नित घटती चली गई अहमियत
खाना पूर्ती ही अब बस करने लग गई , दुनिया ।
शानों-शौकत पर कर देते हैं खर्चा लाखों का
माँ बाप पे खर्च से परेशान होने लग गई दुनिया।
होती जा रही है खाई चौड़ी अमीरी -गरीबी की
इक अमीरों की इक गरीबों की बन गई दुनिया।
कुछ बाबाओं के कारनामों ने पहुँचाया उन्हें जेल
लोग फिर भी पूजते बेशर्म कितनी हो गई दुनिया।
धर्म कर्म काफ़ी बढ़ा धार्मिक उन्माद सर पे चढ़ा
चंगुल में धर्म के ठेकेदारों के फंसती गई दुनिया।
लैपटॉप,कंप्यूटर,मोबाइल सख्त जरूरत आज की
इन्हीं के इर्द गिर्द घूमने अब सारी लग गई , दुनिया ।
वाई -फाई,नेट कनेक्शन औ'डाटा रहे आबाद बस
काम दुनियादारी के घर से निपटाने लग गई दुनिया।
फेसबुक व्हाट्सअप्प ट्विटर से मिलती फुर्सत नहीं
दिन रात इन्हीं में अब व्यस्त रहने लग गई , दुनिया ।
पत्र-व्यवहार की जगह अब हथिया ली है 'चैट 'ने
तेज़ी से पूरी तरह डिजिटल होती चली गई , दुनिया ।
एक्सेप्ट ,ब्लॉक ,अनफ्रेंड करते रहते यही अब सब
बेकार के इन्हीं पच्चड़ों में पड़ती चली गई , दुनिया ।
आदतें अच्छी अच्छी भूलते गये हम जाने अनजाने
बुरी सी कई आदतों को अपनाती चली गई , दुनिया ।
बंटाते थे हाथ एक दूजे का होते शामिल गम खुशी में
अब तो घर-परिवार तक सिमट कर रह गई , दुनिया।