रिश्ते
पुरुष कौन सा कम है
दिल है उसके पास भी
जिगर साथ में
वो भी तो महक उठता है
स्त्री के प्रेम में
खिल उठता है उसकी यादों में
मंद मंद मुस्काता है
सब समझता है
स्त्री क्या चाहती है
उसकी खुशी के लिए
ही तो उसे बार बार छेरता है
मानो हर बार चिढ़ा रहा हो
प्रेम है मीरा करे तो दीवानी
कृष्ण जो मन में प्रेम जगाए
रोना सिखाए,गाना सिखाए
समर्पण सिखाए उसे कुछ न कहेंगे
सच तो यह
प्रेम करती स्त्री है
निभाता हर बार पुरुष है
# अमृता
© All Rights Reserved
दिल है उसके पास भी
जिगर साथ में
वो भी तो महक उठता है
स्त्री के प्रेम में
खिल उठता है उसकी यादों में
मंद मंद मुस्काता है
सब समझता है
स्त्री क्या चाहती है
उसकी खुशी के लिए
ही तो उसे बार बार छेरता है
मानो हर बार चिढ़ा रहा हो
प्रेम है मीरा करे तो दीवानी
कृष्ण जो मन में प्रेम जगाए
रोना सिखाए,गाना सिखाए
समर्पण सिखाए उसे कुछ न कहेंगे
सच तो यह
प्रेम करती स्त्री है
निभाता हर बार पुरुष है
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