...

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रहने-दिया
जो छूटा जहां उसको वही रहने दिया,
सोचा नहीं जो हुआ उसे होने दिया;
थम जाएं ऐसों से ख़ुद न मिलने दिया,
बढ़ते रहे हरदम, सपनों को सजाने दिया।

राहों में कांटे थे, पर कदम बढ़ा दिया,
हर दर्द को मुस्कुराकर भुलाने दिया;
जीवन की चुनौतियों से खेलते रहे,
हर मुश्किल को हंसकर टल जाने दिया।
© Nidhi30