तू ही बता ये क्यों होता है
मैं नहीं सोचता तुझे,पर मेरे हर ख़्याल में तू ही रमता है
मैं नहीं देखता तुझे,पर मेरी हर नज़र में तू ही रहता है
मैं नहीं सुनता तुझे,पर तेरी ही आवाज़ गूंजती है मेरे कानों में
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मैं नहीं देखता तुझे,पर मेरी हर नज़र में तू ही रहता है
मैं नहीं सुनता तुझे,पर तेरी ही आवाज़ गूंजती है मेरे कानों में
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