...

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तू ही बता ये क्यों होता है
मैं नहीं सोचता तुझे,पर मेरे हर ख़्याल में तू ही रमता है

मैं नहीं देखता तुझे,पर मेरी हर नज़र में तू ही रहता है

मैं नहीं सुनता तुझे,पर तेरी ही आवाज़ गूंजती है मेरे कानों में

मैं नहीं करता बातें तेरी,पर मेरी हर बात में तेरा ही ज़िक्र होता है

मेरे ध्यान में,मेरे व्याख्यान में,मेरे हर आह्वान में सिर्फ़ तू और सिर्फ़ तू ही आता है

मेरे गुस्से में तू हँसी बनकर आ जाता है और सब कुछ जादुई कर जाता है

ये क्यों होता है,तू बता ये क्यों होता है

© beingmayurr