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निकल खुद से बाहर
संभाल के रख
ईमान अपना
नक़ाब हैं उनका क्या
बाज़ार से बाहर निकल।
किसी रोते को
दे दे अपना निवाला
तू मनुज है मनुज रह
नकल उनकी
कभी न कर।
अंधेरा है अंधेरा है
तू थोड़ा सूरज तो बन।
कुछ तो ऐसा वैसा कर
खुद से बाहर निकल।
© ©संभव टाईटस
ईमान अपना
नक़ाब हैं उनका क्या
बाज़ार से बाहर निकल।
किसी रोते को
दे दे अपना निवाला
तू मनुज है मनुज रह
नकल उनकी
कभी न कर।
अंधेरा है अंधेरा है
तू थोड़ा सूरज तो बन।
कुछ तो ऐसा वैसा कर
खुद से बाहर निकल।
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