...

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पहिचान
आज जा के कही अहसास हुआ
मुझमें भी कुछ खास है
जो मिला अच्छा मिला
नही मिला बकवास है।

खड़ा हूं जमीन पर
ऊपर देखू आकाश है
होगा हर सपने को पूरा
बाकी मुझमें आस है ।

देख तरक्की मेरी
कुछ मैं आती सांस है
कुछ तो देख तरक्की
देते बस अभिशाप है।

दुश्मनों की कोई बात नही
दोस्तो के लिए खास है
जलने बालों की मत पूछो
वो तो बिलकुल राख है।

उनका तो पता नहीं हमको
पर मुझमें अभी लिहाज है
मुंह से क्या जवाब दू उनको
जब कलम हमारी आवाज़ है
© Sumit Kumar