ग़ज़ल
तुझे छोड़कर मुझको जाना नहीं है
समुंदर है गहरा किनारा नहीं है
तेरे इश्क़ ने कर दिया है निकम्मा
सिवा इश्क़ के कुछ भी आता नहीं है
नहीं होती ग़ाफ़िल कभी इतनी भी ये
कभी ज़िंदगी को सँवारा नहीं है
परेशाँ रहा उम्र भर के...
समुंदर है गहरा किनारा नहीं है
तेरे इश्क़ ने कर दिया है निकम्मा
सिवा इश्क़ के कुछ भी आता नहीं है
नहीं होती ग़ाफ़िल कभी इतनी भी ये
कभी ज़िंदगी को सँवारा नहीं है
परेशाँ रहा उम्र भर के...