एक ख़्याल
जाने कई दफ़ा दिल में एक ख़्याल आता है
ऊब चुका हूँ मैं इस बेईमान किस्मत से अपने,
हर क़दम ठोकर खा रहा,
गिर कर संभाल रहा,
हिम्मत नहीं अब मुझमें कही शेष
बर्दाश्त नहीं मुझको अब कोई ठेश,
चल दु मैं अब फ़िर कहीं
अपना ना हो जहां फिर कोई.
लबों...
ऊब चुका हूँ मैं इस बेईमान किस्मत से अपने,
हर क़दम ठोकर खा रहा,
गिर कर संभाल रहा,
हिम्मत नहीं अब मुझमें कही शेष
बर्दाश्त नहीं मुझको अब कोई ठेश,
चल दु मैं अब फ़िर कहीं
अपना ना हो जहां फिर कोई.
लबों...