...

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- : बेनाम : -
दिल कहता है थोड़ा ओर सबर कर ,
दिमाक कहता है अब बस कर ,
जिंदगी तो अब मुझ से बहुत दूर चली गयी है ,
मौत खड़ी है गले लगाने को ,
आराम तरस रहा है दीदार को,
आँखे तरस रही है नींद को,
गम भी अब मुझ से बोर होने लगा है ,
खुशी लगी हुई है किसी ओर को खुश करने में ,
मिलन सपनो का इंतजार कर रहा है ,
सपने रात होने का इंतजार कर रहे है ।

© Adv. Dhanraj Roy kanwal