...

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याद है...
आज तुम बहुत याद आए
कुछ था जो तुमसे कहना था
कुछ था जो तुमसे सुनना था

तुम्हे कुछ याद दिलाना था
फिर से वही पल जीना था

याद है ....


कैसे जान लेते थे तुम मेरी बेचैनियाँ
मेरी ख़ामोशी की वजह
मेरी उलझने मेरे असमंजस
मेरे रूखे लहजे की वजह
फिर धीरे से कहना
सब ठीक हो जायेगा
मै जो हूँ ना

याद है ....

तुम्हारा घंटो फोन पर बातें करना
कभी नींद से उठाना
बच्चो के जैसे ज़िद करना
सारी सारी रात ना सोना
वो सपनो का आशियाना सजाना
फिर ज़ोर ज़ोर से हसना

महसूस करते थे तुम मेरा
शर्म के मारे कुछ न कहना
तुम्हारी शरारतों से मेरा रूठ जाना
फिर तुम्हारा मानना

बेहद याद आया .....


तुमसे लगाने के बाद
अब दिल कहीं लगता नहीं
ये नजरो का मसला सुलझता ही नही

तेरी यादों में जी रही हूँ मै
वरना मुझमे अब कुछ बचा नही !!


© Anu Mathur