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मयखाने
#मयखाने
जब से हुई है मेरी आमद शहर में तेरे
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं
जब से हुई है आमद मेरी शहर में तेरे
मुझसे रूठे वो जमाने हैं
सिलसिला चला था जहां
हमारी मोहबत का,
वो मोहबत का हर एक
लम्हा मेरे सामने है।
मुझसे रूठे हैं वो परिंदे भी,
गवाह बन गए थे जो उस जमाने मे।
जबसे हुई है मेरी आमद शहर मे तेरे,
मुझसे रूठे रूठे सारे मयखाने हैं।
तु छोड़ गया हम भी भूल गए तुमको,
पर आँसू तेरी याद है मेरे सिरहाने मे,
इस शहर मेआए तो थे,
तुम्हरी यादे मिटाने को,
पर लगता है अब आना पड़ेगा
तुम्हे बनकर हिस्सा मेरे जनाजे में।
- प्रियंका रावत......