बचपन
कहीं चिड़ियों की चहचहाट कहीं गिलहरियों का शोर था
ये वक्त वो नही है,वो वक्त ही कुछ और था
खाली रहती थी जेबें तब बनते थे हम राजा
नौकर भी हम ही होते थे, करते थे काम साझा
मरते से दिन निकलता अब तब होता एक भोर था
ये वक्त वो नहीं है, वो वक्त ही कुछ और था
कॉलर उठा कर चलते थे, साइकिल भी लगती थी गाड़ी
बनके खिलाड़ी...
ये वक्त वो नही है,वो वक्त ही कुछ और था
खाली रहती थी जेबें तब बनते थे हम राजा
नौकर भी हम ही होते थे, करते थे काम साझा
मरते से दिन निकलता अब तब होता एक भोर था
ये वक्त वो नहीं है, वो वक्त ही कुछ और था
कॉलर उठा कर चलते थे, साइकिल भी लगती थी गाड़ी
बनके खिलाड़ी...