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मनुष्य और मौसम
वसंत ग्रीष्म वर्षा सर्द और शीत
मौसम और मनुष्य के परिवर्तन के ये रीत
आरंभ से अंत के हैं ये गीत
जितने अद्भुत उतने ही करते भयभीत

वसंत जीवन के आरंभ का सार
ग्रीष्म जवान होने का भार
वर्षा आधी जीवन जीने के बाद का मार्ग
सर्द और शीत बुढापे का संसार

मौसम तो नियमित बदलते हैं
मनुष्य तो बिन बाद ही पलटते हैं
जीवन जीने का तरीका हर ओर ढूंढते हैं
और जवाब रूप बदल आते जाते हैं

मयूर पराशर

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