अनकहे अल्फ़ाज़
सुनसान रातों का फलसफा और एक तेरा न मिलना
बता मेरे नसीब में और क्या - क्या न था
तू सोती रही, मैं अंधेरों में जागता रहा,
बता इंसानियत की फितरत का तमाशा और कब तक मुझसे था जुड़ा,
बुनियाद...
बता मेरे नसीब में और क्या - क्या न था
तू सोती रही, मैं अंधेरों में जागता रहा,
बता इंसानियत की फितरत का तमाशा और कब तक मुझसे था जुड़ा,
बुनियाद...