...

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जिंदगी के मोड़
प्रेम के अंकुर से
शादी के मंडप तक का
सफर अगर लगा हो
बड़ा ही घटनाओं से भरा

संभलिए
ये तो बस एक शुरूआत भर थी
मंजिल नहीं

ये प्रवेश द्वार है जहां
चावल से भरे कलश को
पैरों से ठोकर मार कर
चावल बिखरा कर
शुरू होती है ठोकर खाने की
बिखरने समेटने और संभलने की
एक पूरा नया युग

बेटी होते देर से जागना
भूल जाना नही खाना आसान सा था
अब हर छोटी बात का खयाल करना

किसने नहीं खाया
उठना सबसे पहले
देर रात तक जागे रहना

दफ्तर में नही काम होंगे
काम के जद्दोजहद
बीच में मायके में एक फोन करना

जिसके साथ के लिए शुरू की ये यात्रा
उसके ही साथ के लिए
इंतजार करना

ये बस एक शुरूआत है
उम्र का लंबा सफर है आगे
अग्निपथ से गुजरना है

© Poeत्रीباز