...

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"गुलनार"
कल शाम को उनकी
हमारे दर पर आमद हुई!!

कुछ लम्हा यूं ही गुज़रे, के दौर
चाय का चला और गुफ्तगू हजार हुई!!

वो हौले से मुस्कुराते और घूंट चाय का लबों
में भरते उनको चाय पीते देख मैं तो जैसे बुत
सी हो गई!

होश हमको यूं खोते देखकर शरारत से वो
हंस दिए,और अपनी इस नासमझी पर हया से
मैं तो गुलनार हुई!!

(s)


© Deepa🌿💙