एक मजदूर की ख्वाहिश
न जाने क्यों मन उदास हो गया,
तुम्हे देख कर, अपने आप हो गया,
सभी के बात सहकर भी,
काम कर देते हैं, घर
को खुशी से भर देते हैं,
ये तो मजदूर है, दुख मे
भी मुस्करा देते हैं।
क्या गलती है इनकी खुदा ही जाने,
सबके महल बना खुद,
झोंपरो मे रह लेते हैंl
न जाने क्यो मन उदास हो गया।
आज खुद को देख कर खुद से ही खफा हो गया।
© Life is beautiful
तुम्हे देख कर, अपने आप हो गया,
सभी के बात सहकर भी,
काम कर देते हैं, घर
को खुशी से भर देते हैं,
ये तो मजदूर है, दुख मे
भी मुस्करा देते हैं।
क्या गलती है इनकी खुदा ही जाने,
सबके महल बना खुद,
झोंपरो मे रह लेते हैंl
न जाने क्यो मन उदास हो गया।
आज खुद को देख कर खुद से ही खफा हो गया।
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