...

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ज़िंदगी क्या है ?
मासूम है आँखें सपनों से ढका हुआ है
आँसू दिखाती हमें हकीकत क्या है

मिलती नहीं वह चीज़ किस्मत की बाज़ार में
मेहनत की संदूक में छुपे हैं सौ सितारे

पानी की कमी है हर किसान के खेतों में
पसीना से खिलती है रंगीन गुलाब-चेहरे

खुदा रहते हैं हर इंसान के अन्दर
मगर मंदिर के बाहर फ़कीर क्यूँ है

© prashanth K