ठोकर
हज़ारों की भीड़ लगी
उनमें मैं जलता रहा,
जलता रहा,
जलता कुछ इस कदर रहा,
बचा उनके लिए बस
एक राख था ।
जीता रहा दुनिया,
के लिए ।
अपना अस्तित्व खो कर मैं,
गिरता रहा, उठता रहा
खा कर ठोकर मैं ।
...
उनमें मैं जलता रहा,
जलता रहा,
जलता कुछ इस कदर रहा,
बचा उनके लिए बस
एक राख था ।
जीता रहा दुनिया,
के लिए ।
अपना अस्तित्व खो कर मैं,
गिरता रहा, उठता रहा
खा कर ठोकर मैं ।
...