...

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..मेरी कलम...
.....मेरी कलम......

मेरी कलम मेरा साथ बखूबी निभाती है
तन्हाई में भी आकर गले लगाती है

कड़कती धूप में
परछाई बन जाती है
ठंड मे
मखमल की चादर कहलाती है

मैं रूठ...