...

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रेत सी जिंदगी
रेत की तरह फिसलती नजर आ रही है
मुझे मेरी जिंदगी
नदी के छोर की तरह अगल है
मुझसे किस्मत मेरी
उड़ते परिंदे को कैद कर मिलता है जैसे सुकून स्वार्थ भरे इंसानों को
वैसे ही खुद की ख्यालों मे
कर लिया है मैने कैद खुद को
बाहर आ नही पा रहीं
खुद के बनाय पिंजरे से
क्यूंकि भाती नहीं है अब मुझे
इस दिखावे के जिंदगी जीने से
कर लो कोशिश कितनी भी
मिलेगा वही लिखा है जो तुम्हारी किस्मत में।।


© Aaliya