...

20 views

शून्य से अन्नत तक
शून्य से शुरू किया है,
मगर जाना अन्नत तक
गिर चुकी उचाइयो से धरती की तल तक।
उठ रही हर घडी ,
बढ़ा रही कदम कदम।
मुश्किलों से डरना नही,
पीछे मुझे मुड़ना नहीं,
समझा रही ये पल पल।
शून्य से शुरू किया है,
मगर जाना अन्नत तक।।