शून्य से अन्नत तक
शून्य से शुरू किया है,
मगर जाना अन्नत तक
गिर चुकी उचाइयो से धरती की तल तक।
उठ रही हर घडी ,
बढ़ा रही कदम कदम।
मुश्किलों से डरना नही,
पीछे मुझे मुड़ना नहीं,
समझा रही ये पल पल।
शून्य से शुरू किया है,
मगर जाना अन्नत तक।।
मगर जाना अन्नत तक
गिर चुकी उचाइयो से धरती की तल तक।
उठ रही हर घडी ,
बढ़ा रही कदम कदम।
मुश्किलों से डरना नही,
पीछे मुझे मुड़ना नहीं,
समझा रही ये पल पल।
शून्य से शुरू किया है,
मगर जाना अन्नत तक।।
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